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Photo: CarToq |
ऑटोमोबाइल सेक्टर में किसी मॉडल का बंद होना आमतौर पर संकेत होता है कि इसके जगह दूसरा मॉडल आएगा, जैसे पिछले साल दिसम्बर में मारुती ने घोषणा की थी कि वो आल्टो 800 का प्रोडक्शन बंद कर रही है और इसके जगह पर नयी और अपडेटेड आल्टो 800 मॉडल इस साल के अंत तक बाज़ार में आएगी. लेकिन यहाँ बात दूसरी थी. मारुती ने जिप्सी को पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया है. इसका अर्थ ये हुआ कि हिंदुस्तान की सबसे आइकोनिक गाड़ी अब आखिरी साँसें ले रही है.
बहुत से लोगों के लिए ये आम बात होगी. कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिनके लिए ये खबर का कोई महत्व नहीं होगा लेकिन मेरे लिए ये खबर थोड़ी ख़ास थी.
एक वक़्त था जब मारुती जिप्सी मेरी सबसे पसंदीदा गाड़ियों में से एक थी. ऐसा कह सकते हैं यह मेरी ड्रीम कार जैसी थी. अपने समय में मारुती जिप्सी एक ऐसी गाड़ी थी, जिसमे स्टाइल, पॉवर, रफनेस, सब्सटांस, डिग्निटी और ब्यूटी सब कुछ मौजदू था. मिलिट्री, पोलिस, ऑफ-रोअडिंग, फैमली टूर, या फिर यूहीं लॉन्ग ड्राइव पर जाना हो, किसी भी तरह के ड्राइव के लिए ये एक उपयुक्त गाड़ी थी. मेरे ख्याल से ये मारुती और भारत की सबसे वर्सटाइल गाड़ी थी. लेकिन समय के साथ साथ ये गाड़ी अपने आप को मोल्ड नहीं कर पायी और अब बंद होने के कगार पर आ गयी है.
जिप्सी का प्रोडक्शन बंद क्यों हुआ इसकी कई वजहें हैं, जिसे संक्षेप में कहूँ तो बस इतनी सी बात है कि एक तरफ जहाँ आज की गाड़ियाँ आधुनिक तकनीक से लैस हैं, वहीं जिप्सी में पॉवरस्टीयरिंग, एयरबैग के साथ जरूरी सिक्यूरिटी और एमिशन नॉर्म्स उपलब्ध नहीं हैं जिसकी वजह से कंपनी ने इसे बंद करने का फैसला लिया है. वैसे तो मारुती की पार्टनर कंपनी सुजुकी ने पिछले साल जिप्सी के ही तर्ज पर एक नयी गाड़ी जिम्नी की घोषणा की है, और अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में ये गाड़ी इस साल आ भी जायेगी, लेकिन भारतीय बाज़ार में इसके आने की फ़िलहाल कोई सम्भावना नहीं है.
मारुती जिप्सी के साथ ही एक युग समाप्त हो गया. भारतीय सड़कों पर जिप्सी आज से करीब चौतीस साल पहले 1985 में आई थी और तब से लेकर अब तक भारतीय ऑटोमोबाइल इतिहास में सबसे लम्बे समय तक बिकने वाली प्रोडक्शन मॉडल गाड़ी है मारुती जिप्सी.
मारुती जिप्सी जितनी आम लोगों में मशहूर थी उतनी ही पुलिस और ख़ास कर के मिलिट्री में ये गाड़ी बेहद पसंद की जाती थी. ये एक हलकी गाड़ी है, जिसका वजन मात्र 900 किलोग्राम है जो इसे दुर्गम रास्तों पर चलने के लिए आसान बनता है और इसके कम वजन के चलते इसे हेलिकॉप्टर या एयरक्राफ्ट की मदद से आसानी से ऊंचाई वाली जगहों पर पहुंचाया जा सकता है. भारी एसयूवी के तुलना में इसे रेगिस्तान और बर्फीले रास्तों पर भी आसानी से चलाया जा सकता है. ये सब बड़ी वजह थी जिसकी वजह से ये गाड़ी भारतीय सेना की पहली पसंद बनी हुई थी.
मारुती जिप्सी का पेलोड करीब 500 किलोग्राम का है, इस वजह से भी इंडियन आर्मी की ये पसंदीदा सवारी थी, जिससे हथियार और सेना के इक्विपमेंट को एक जगह से दूसरी जगह आराम से ले जाया जा सके. इसकी फोर व्हील ड्राइव इसे सेना के लिए बिलकुल उपयुक्त गाड़ी बनती है. अब तक मारुती ने भारतीय सेना को करीब तीस हज़ार से भी ज्यादा मारुती जिप्सी सौंपी है.
लेकिन अब समय बदला, इंडियन आर्मी ने भी जिप्सी के जगह टाटा सफारी स्टॉर्म को इस्तेमाल करने की घोषणा कर दी. मारुती की जिप्सी पहले से ही नुक्सान में चल रही थी, आर्मी इस गाड़ी की आखिरी आस थी, और इस खबर के आते ही जैसे जिप्सी का भविष्य तय हो गया था.
ऐसी बात नहीं थी कि जिप्सी का बंद होना टाला नहीं जा सकता था. कितनी ही गाड़ियाँ जो जिप्सी के तर्ज पर हैं जैसे फ़ोर्स गोरखा, महिंद्रा थार, इन सब एसयूवी ने खुद को वक़्त के साथ बदला और आज अपने अपडेटेड मॉडल को लेकर बाज़ार में छाई हुई हैं. लेकिन शायद कंपनी ने जिप्सी मॉडल पर से विश्वास ही खो दिया था, और अंततः इसे बंद करने की घोषणा हो गयी.
मारुती जिप्सी भारत की सबसे सस्ती 4x4 एसयूवी थी, यानी की आल व्हील ड्राइव एसयूवी. जिप्सी की वैसे तो प्रोडक्शन फ़िलहाल बंद कर दी गयी है, लेकिन जो शोरूम में जिप्सी आर्डर किये जाने के तहत मिल रही हैं, उनकी कीमत लगभग छः लाख रुपये है.
मारुती जिप्सी मारुती उद्योग की उन चार आइकोनिक गाड़ियों में से एक है जिन्होंने भारतीय ऑटोमोबाइल जगत का रुख ही बदल दिया था.
बदलते वक़्त के साथ आप नहीं बदलें तो वक़्त आपको बदल देगा
जिप्सी का प्रोडक्शन बंद क्यों हुआ इसकी कई वजहें हैं, जिसे संक्षेप में कहूँ तो बस इतनी सी बात है कि एक तरफ जहाँ आज की गाड़ियाँ आधुनिक तकनीक से लैस हैं, वहीं जिप्सी में पॉवरस्टीयरिंग, एयरबैग के साथ जरूरी सिक्यूरिटी और एमिशन नॉर्म्स उपलब्ध नहीं हैं जिसकी वजह से कंपनी ने इसे बंद करने का फैसला लिया है. वैसे तो मारुती की पार्टनर कंपनी सुजुकी ने पिछले साल जिप्सी के ही तर्ज पर एक नयी गाड़ी जिम्नी की घोषणा की है, और अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में ये गाड़ी इस साल आ भी जायेगी, लेकिन भारतीय बाज़ार में इसके आने की फ़िलहाल कोई सम्भावना नहीं है.
भारत की आइकोनिक गाड़ी थी मारुती जिप्सी
मारुती जिप्सी के साथ ही एक युग समाप्त हो गया. भारतीय सड़कों पर जिप्सी आज से करीब चौतीस साल पहले 1985 में आई थी और तब से लेकर अब तक भारतीय ऑटोमोबाइल इतिहास में सबसे लम्बे समय तक बिकने वाली प्रोडक्शन मॉडल गाड़ी है मारुती जिप्सी.
मारुती जिप्सी जितनी आम लोगों में मशहूर थी उतनी ही पुलिस और ख़ास कर के मिलिट्री में ये गाड़ी बेहद पसंद की जाती थी. ये एक हलकी गाड़ी है, जिसका वजन मात्र 900 किलोग्राम है जो इसे दुर्गम रास्तों पर चलने के लिए आसान बनता है और इसके कम वजन के चलते इसे हेलिकॉप्टर या एयरक्राफ्ट की मदद से आसानी से ऊंचाई वाली जगहों पर पहुंचाया जा सकता है. भारी एसयूवी के तुलना में इसे रेगिस्तान और बर्फीले रास्तों पर भी आसानी से चलाया जा सकता है. ये सब बड़ी वजह थी जिसकी वजह से ये गाड़ी भारतीय सेना की पहली पसंद बनी हुई थी.
मारुती जिप्सी का पेलोड करीब 500 किलोग्राम का है, इस वजह से भी इंडियन आर्मी की ये पसंदीदा सवारी थी, जिससे हथियार और सेना के इक्विपमेंट को एक जगह से दूसरी जगह आराम से ले जाया जा सके. इसकी फोर व्हील ड्राइव इसे सेना के लिए बिलकुल उपयुक्त गाड़ी बनती है. अब तक मारुती ने भारतीय सेना को करीब तीस हज़ार से भी ज्यादा मारुती जिप्सी सौंपी है.
लेकिन अब समय बदला, इंडियन आर्मी ने भी जिप्सी के जगह टाटा सफारी स्टॉर्म को इस्तेमाल करने की घोषणा कर दी. मारुती की जिप्सी पहले से ही नुक्सान में चल रही थी, आर्मी इस गाड़ी की आखिरी आस थी, और इस खबर के आते ही जैसे जिप्सी का भविष्य तय हो गया था.
ऐसी बात नहीं थी कि जिप्सी का बंद होना टाला नहीं जा सकता था. कितनी ही गाड़ियाँ जो जिप्सी के तर्ज पर हैं जैसे फ़ोर्स गोरखा, महिंद्रा थार, इन सब एसयूवी ने खुद को वक़्त के साथ बदला और आज अपने अपडेटेड मॉडल को लेकर बाज़ार में छाई हुई हैं. लेकिन शायद कंपनी ने जिप्सी मॉडल पर से विश्वास ही खो दिया था, और अंततः इसे बंद करने की घोषणा हो गयी.
मारुती जिप्सी भारत की सबसे सस्ती 4x4 एसयूवी थी, यानी की आल व्हील ड्राइव एसयूवी. जिप्सी की वैसे तो प्रोडक्शन फ़िलहाल बंद कर दी गयी है, लेकिन जो शोरूम में जिप्सी आर्डर किये जाने के तहत मिल रही हैं, उनकी कीमत लगभग छः लाख रुपये है.
मारुती जिप्सी मारुती उद्योग की उन चार आइकोनिक गाड़ियों में से एक है जिन्होंने भारतीय ऑटोमोबाइल जगत का रुख ही बदल दिया था.
देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी का संक्षिप्त इतिहास
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Photo: Virendra Prabhakar/HT |
भारतीय ऑटोमोबाइल में एक क्रन्तिकारी बदलाव तब आया जब 1983 में मारुती ने गाड़ियाँ बनानी शुरू की. संजय गाँधी ने मारुती लिमिटेड की स्थापना 1971 में की थी, इस उद्देश्य के साथ कि सस्ती पैसेंजर गाड़ी भारत में बन सके, लेकिन संजय गाँधी के निधन के दो साल पहले ही उनका ये ड्रीम प्रोजेक्ट बंद हो गया. फिर 1981 में मारुती की रेब्रन्डिंग की गयी और मारुती उद्योग के नाम से कंपनी को फिर से शुरू किया गया. ये बात कम लोगों को पता है कि मारुती ने मारुती 800 मॉडल के पहले एक गाड़ी का प्रोडक्शन किया था जो पूरी तरह भारत में निर्मित गाड़ी थी. उस गाड़ी का नाम मारुती 700 था. लेकिन मारुती की ये गाड़ी आते ही फ्लॉप हो गयी थी.
फिर साल 1982 में मारुती ने सुजुकी कंपनी के साथ साझेदारी की और मारुती सुजुकी के लेबल तहत देश में अपनी पहली गाड़ी मारुती सुजुकी 800 को मार्केट में लांच की जो सुजुकी SS80 मॉडल के तर्ज पर बनी थी.14 दिसम्बर 1983 के दिन एक समारोह के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने देश की पहली मारुती 800 की चाबी हरपाल सिंह को सौंपी थी, जिन्होंने मारुती 800 के ओनरशिप राइट्स एक लकी ड्रा के तहत जीती थी.
मारुती 800 के एंट्री के साथ ही भारतीय मार्केट में एक हलचल मच गयी थी. कार प्रेमियों के लिए मारुती 800 का स्लीक हैचबैक मॉडल एक नया डिजाईन स्टेटमेंट बन गया था. मारुती 800 की धड़ाधड़ बुकिंग शुरू हो गयी. साल 1983 से लेकर 1990 तक मारुती ने एक के बाद एक चार गाड़ियाँ की प्रोडक्शन की और भारतीय ऑटोमोबाइल की शक्ल बदल कर रख दी.
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Maruti 800DX, First Batch of Maruti 800. |
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हरपाल सिंह, देश की पहली मारुती 800 के साथ |
मारुती 800 के लांच के अगले ही साल मारुती ने अपनी एक और पैसेंजर गाड़ी ओमनी वैन को लांच किया, जो सुजुकी के ही एक गाड़ी सुजुकी कैरी के मॉडल पर आधारित थी. मारुती ने ओमनी को दो केटेगरी में लांच किया था, एक कार्गो वर्शन और एक फैमिली कार वर्शन.
ओमनी आम ग्राहकों के बीच पोपुलर तो थी लेकिन इससे ज्यादा मारुती ओमनी का इस्तेमाल कार्गो, टैक्सी, स्कूल वैन और एम्बुलेंस के लिए होने लगा था. ओमनी का स्लाइडिंग दरवाज़ा काफी हिट हुआ था. शायद इस लिए बॉलीवुड में किडनैपिंग के सीन को फिल्माने के लिए भी ओमनी और इसका स्लाइडिंग डोर इस्तेमाल किया जाता था.
Image: Team BHP |
मारुती जिप्सी पेट्रोल से चलनी वाली एक एसयूवी थी जिसकी बनावट बेहद सिम्पल थी. मारुती की इस गाड़ी की सबसे ख़ास बात ये थी कि ये बिलकुल भी ओवर-इंजीनियर्ड गाड़ी नहीं थी, जिसके वजह से ये बेहद विश्वसनीय गाड़ी थी, जो बहुत कम ख़राब होती थी. मारुती जिप्सी गाड़ी आम लोगों के साथ साथ भारत के डिफेन्स सेक्टर में भी बेहद मशहूर हो गयी थी. उस वक़्त के युवा लोगों में ये गाड़ी ख़ास तौर पर लोकप्रिय थी.
मारुती जिप्सी के लांच के दो साल बाद ही मारुती ने 1990 में अपनी सबसे महँगी और लक्जरी गाड़ी मारुती 1000 सेडान को लांच कर दिया. मारुती 1000 सेडान एक बेहद ही खूबसूरत और लक्जरी लुक लिए महंगी गाड़ी थी. मारुती 1000 भारत की सबसे पहली सेडान गाड़ी थी. इस गाड़ी की कीमत करीब पौने चार लाख रुपये थी. लोगों ने मारुती 1000 के लिए कहना शुरू कर दिया, एलिट कार फॉर एलिट पीपल. इस गाड़ी को अफोर्ड कर पाना उस वक़्त हर किसी के बस की बात नहीं थी.
मारुती ने 1983 से लेकर 1990 तक लगभग हर सेगमेंट में गाड़ी लांच कर दी थी और उन दिनों जितनी भी ऑटोमोबाइल कम्पनियाँ थीं, उन सब से मारुती मीलों आगे निकल चुकी थी.
मारुती 1000 के लांच के तीन-चार साल बाद ही मारुती ने एक नयी लक्जरी सेडान मारुती एस्टीम को लांच कर दिया जो कि मारुती 1000 का ही अपग्रेडेड वर्शन था. दोनों गाड़ियों के डिजाईन में कोई फर्क नहीं था. बस इंजन और इंटीरियर में बदलाव हुए थे. धीरे धीरे सभी Maruti 1000 कारों को एस्टीम की बैजिंग दे दी गयी थी.
जब मारुती एक के बाद एक हर सेगमेंट की गाड़ियाँ लांच कर के मार्केट पर पकड़ बना रही थी, उसी समय कुछ और कम्पनियाँ थीं जो भारतीय मार्केट में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रही थी. नब्बे के दशक में मारुती को उन कारों से बड़ी कड़ी टक्कर मिली थी. चाहे हौंडा की गाड़ी हो, फोर्ड की, हुंडई की या नब्बे के मध्य में लांच हुई टाटा की गाड़ियाँ.
मारुती की सबसे ख़ास बात ये थी कि देश में सबसे बड़ा सप्लाई चेन नेटवर्क मारुती का बन गया था. देश के हर कोने में इसके शोरूम और सर्विस सेंटर खुल गए थे. शायद यही वजह है कि बहुत सी गाड़ियाँ नब्बे के दशक में आई जरूर लेकिन भारतीय कार मार्केट में मारुती को नंबर एक के स्पॉट से कोई हटा नहीं सकी. लेकिन फिर भी उन सभी गाड़ियों ने मार्केट में अपनी एक जगह बना ली थी.
उन सभी गाड़ियों के छोटे मोटे किस्से और कैसे वो भारतीय सड़कों की आइकोनिक गाड़ियाँ बनी, कौन सी वे गाड़ियाँ थीं जिन्हें हम भूल चुके हैं, वो सब की जानकारी बहुत जल्द इसी ब्लॉग पर आपके सामने लेकर आऊँगा. तब तक मारुती का ये पुराना एक विज्ञापन देखें -
बड़िया पोस्ट। शुभकामनाएं साथ में होली पर।
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन बुरा मानना हो तो खूब मानो, होली है तो है... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
ReplyDeleteThe information you have posted is very useful. Thank you for nice and wonderful Information. Valentines Day Quotes
ReplyDeleteYour HindiQuotes
ReplyDeleteinformative
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